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लखनऊ बना हादसों का शहर, जानिए क्या है वजह….

परिवहन विभाग की हालिया रिपोर्ट में लखनऊ को प्रदेश में सड़क हादसों के लिए सबसे खतरनाक पाया गया है. कल यानी रविवार को राजधानी लखनऊ में एसयूवी सवार दंपति दर्दनाक हादसे का शिकार हो गए. इस घटना में पत्नी की मौत हो गई, जबकि पति आईसीयू में ऐडमिट हैं.

रिपोर्ट/तान्या कसौधन

Lucknow News: परिवहन विभाग की हालिया रिपोर्ट में लखनऊ को प्रदेश में सड़क हादसों के लिए सबसे खतरनाक पाया गया है. कल यानी रविवार को राजधानी लखनऊ में एसयूवी सवार दंपति दर्दनाक हादसे का शिकार हो गए. इस घटना में पत्नी की मौत हो गई, जबकि पति आईसीयू में ऐडमिट हैं. स्कॉर्पियो सवार कपल की टक्कर लखनऊ-अयोध्या हाइवे पर तिवारीगंज के पास ट्रक से हो गई. टक्कर इतनी जोरदार थी कि गाड़ी के परखच्चे उड़ गए। सूचना पर पहुंची पुलिस ने घायल को अस्पताल पहुंचाया. शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेजा, मृतका की पहचान खुशबू (45) के रूप में हुई है. पति रवि प्रताप सिंह (48) घायल हैं.

शहर की 86 जगह बनी ब्लैक स्पॉट

इसी तरह की तमाम घटनाएं आये दिन उत्तर प्रदेश में होती रहती हैं. परिवहन विभाग दवारा शहर की 86 जगहों को ब्लैक स्पॉट के रूप में चिन्हित किया गया है, जहां लखनऊ में 49% सड़क दुर्घटनाएं हो रही हैं. दूसरे स्थान पर आगरा (49 ब्लैक स्पॉट), तीसरे पर प्रयागराज (46 ब्लैक स्पॉट), और चौथे पर बरेली (45 ब्लैक स्पॉट) हैं. लखनऊ के 13 प्रमुख ब्लैक स्पॉट में से चार जगहों को रेड जोन घोषित किया गया है, जहां बीते 11 महीनों में 46 भीषण सड़क हादसे दर्ज किए गए हैं.

ये हैं चार सबसे खतरनाक ब्लैक स्पॉट:

1. सीडीआरआई तिराहा (लखनऊ-सीतापुर मार्ग)
2. माल रोड (अजगैन-मलिहाबाद-इटौंजा मार्ग)
3. मोहान रोड (कुर्सी देवा-चिनहट मार्ग)
4. जीसीआरजी मार्ग (कुम्हरांवा-बाबागंज मार्ग)

लखनऊ में इन हादसों की वजह क्या है?

अब सवाल ये उठता है कि आखिर लखनऊ में इन हादसों की वजह क्या है? आखिर क्यों यहाँ इतने हादसे हो रहे हैं? बता दे सड़क और डिवाइडर के डिजाइन में गड़बड़ी, अंधे मोड़ पर तेज रफ्तार वाहन, दिशा-सूचक बोर्ड और स्ट्रीट लाइट की कमी, अचानक मुख्य मार्ग पर वाहन आ जाना, ये सभी इन हादसों का मुख्य कारण साबित हो रहीं है. वहीं, इन हादसों के कारण पर व उत्तर प्रदेश की सड़कों पर सरकार को ध्यान देने की आवश्यकता है. जिससे इस तरह की घटनाओं को रोका जा सकें.

बता दें कि ब्लैक स्पॉट उन जगहों को कहा जाता है, जहां 500 मीटर के दायरे में तीन वर्षों में कम से कम पांच बड़ी दुर्घटनाएं हुई हों. इन जगहों की जांच के बाद सड़क निर्माण में गड़बड़ियों को सुधारने की जिम्मेदारी पीडब्ल्यूडी और एनएचएआई को दी जाती है.

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