
रिपोर्ट/रितु चौहान
Varanasi |आजकल ऐसा चलन में है कि कुछ इवेंट मैनेजमेंट कंपनियां और व्यक्ति पैसों के लिए गंगा आरती का कार्यक्रम शादी-विवाह, पार्टियों और उत्सव में कर रहे हैं. यह एक तरह से गंगा आरती का अपमान हो रहा है.
गंगा आरती की गरिमा बनाने के लिए रविवार शाम को गंगा आरती के अवशेषों की बैठक दशाश्वमेध स्थित गंगा सेवा निधि के कार्यालय परिसर में हुई. बैठक में गंगा आरती एवं देव दीपावली के अवसर पर प्रस्ताव रखा गया कि विवाह विवाह के समारोह में गंगा आरती नहीं होगी. भगवती मां गंगा की आरती मनोरंजन का विषय नहीं है. शादी विवाह उत्सव या किसी भी कार्यक्रम में मां गंगा की आरती करना धार्मिक अपराध है.
गंगा समितियों की बैठक में लिया गया निर्णय:
बैठक में सर्वसम्मति से यह प्रस्ताव पारित किया गया कि गंगा आरती का सम्मान बरकरार रखना अत्यावश्यक है. इसके लिये शादियों और पार्टियों में होने वाली गंगा आरती को बंद करना होगा. बैठक में इस बात पर जोर दिया गया कि ऐसी गतिविधियों पर तत्काल रोक लगाई जाए, और भारत सरकार एवं धर्मार्थ मंत्रालय को इस विषय पर पत्र भी भेजा जाएगा.
आरती में शुल्क वसूली पर रोक:
एक अन्य प्रस्ताव में गंगा आरती में भागीदारी के नाम पर होने वाली फर्जी ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन एवं धन वसूली पर कड़ी आपत्ति जताई गई। गंगा आरती एक नि:शुल्क आयोजन है, जिसमें किसी प्रकार का कोई शुल्क नहीं लिया जाता। अतः समिति ने प्रशासन से अनुरोध किया कि ऐसी ठगी को तत्काल बंद करवाया जाए.
गंगा आरती के नाम पर ठगी को लेकर चिंता:
कुछ ठगों द्वारा गंगा आरती के नाम पर लोगों से धन वसूली और आरती की थाली लेकर नावों पर जाने की भी शिकायत की गई. समिति ने चेतावनी दी कि यह न केवल गंगा आरती का अपमान है, बल्कि नावों पर दीपक जलाने से आग लगने का खतरा भी है. अतः प्रशासन से ऐसे कार्यों पर नियंत्रण की मांग की गई.