
रिपोर्ट / तान्या कसौधन
News Update: तिरुपति बालाजी के प्रसाद प्रकरण के बाद देश भर के मंदिरों में प्रसाद का स्वरूप बदलने की तैयारी शुरू हो गई है। इसके लिए काशी विद्वत परिषद ने सनातनी परंपरा और पुराणों के अनुसार भगवान को सात्विक भोग चढ़ाने का खाका तैयार किया है।इसके तहत अब मंदिरों में भगवान को पंचमेवा, फल, बताशा और रामदाना चढ़ाने की पुरानी व्यवस्था को लागू किया जाएगा। इस प्रसाद में न तो किसी मिलावट न ही गड़बड़ी की आशंका रहेगी।
हिंदुओं की धार्मिक भावना हुई आहत
दरअसल, काशी विद्वत परिषद के महामंत्री प्रो. रामनारायण द्विवेदी ने बताया कि तिरुपति बालाजी में जो हुआ उससे 100 करोड़ से अधिक हिंदुओं की धार्मिक भावना आहत हुई है। अखाड़ा परिषद, संत समिति और देश भर के धर्माचार्यों से इसके लिए संपर्क किया जा रहा है। जल्द ही देश भर के संतों के साथ बैठक होगी और कार्ययोजना पर सरकार से समन्वय स्थापित कर इसे देशभर के देवालयों में लागू कराया जाएगा।
सात्विक प्रसाद ही हो अर्पण
वही, संत समाज का कहना है कि हिंदुओं की आस्था के अनुसार ही प्रसाद चढ़ाने और ग्रहण करने की व्यवस्था होनी चाहिए। इसके लिए द्वादश ज्योर्तिलिंग, देवी मंदिरों और देश भर के सभी छोटे-बड़े देवालयों में प्रसाद अर्पण करने में बड़ा बदलाव होगा। भगवान को शुद्ध और सात्विक प्रसाद ही अर्पण हो इसकी व्यवस्था होनी चाहिए। प्रसाद को परमात्मा का आशीर्वाद मानकर ग्रहण किया जाता है। उसी तरह का पवित्र प्रसाद अपने परमात्मा को भी अर्पित किया जाता है। इसमें शुचिता और पवित्रता का ध्यान रखा जाता है।
CM योगी को लिखा पत्र
इससे पहले लखनऊ में स्थित मनकामेश्वर मंदिर के महंत ने CM योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर यह मांग की थी।साथ ही, महंत देव्यागिरि ने साफ तौर पर कहा कि मनकामेश्वर मंदिर में अब बाहर से लाया गया प्रसाद नहीं चढ़ाया जाएगा। अगर लोग घर से बना प्रसाद लाएंगे तभी भगवान को चढ़ाया जाएगा। साथ ही, भगवान को श्रद्धालु सूखा प्रसाद चढ़ा सकते हैं।
बता दे कि आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में तिरुमला पर्वत पर स्थित प्रसिद्ध तिरुपति बालाजी के प्रसाद में जानवरों की चर्बी मिलाए जाने की पुष्टि की गयी थी तब से ये मामला पुरे देश में चर्चा का विषय बन चुका है। पूरा हिन्दू समाज इस मामले की कड़ी निंदा कर रहा है। इस लड्डू विवाद के बाद से सनातन धर्म बोर्ड गठित किए जाने की भी मांग उठी है।