
यूपी के जनपद महराजगंज से है जहां गैर मान्यता प्राप्त मदरसों को नोटिस भेजने के बाद जिला प्रशासन एक्शन में दिख रहा है क्योंकि उत्तर-प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने फरमान जारी किया था कि सरकारी अनुदान वाले मदरसों के छात्रों को बेहतर शिक्षा देने के लिए सरकारी परिषदीय स्कूलों में शिफ्ट किया जाएगा। जिसके क्रम में जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी ने पहली लिस्ट जारी की जिसमें 37 गैर मान्यता प्राप्त मदरसों का नाम सामने आया और क्षेत्रीय खण्ड शिक्षा अधिकारियों को निर्देश भी दिया है कि सरकारी वित्त पोषित मदरसों में प्रवेशित गैर मुस्लिम बच्चों को औपचारिक शिक्षा प्रदान करने के लिए सरकारी स्कूल में प्रवेश दिलाने तथा प्रवेशित बच्चों को औपचारिक शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए तैयारी में जुटा हुआ है।
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और अन्य मुस्लिम संगठनों ने योगी सरकार के फरमान को गैरकानूनी बताते हुए नाराजगी जता रहे है। इतना ही नहीं मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के एक प्रतिनिधिमंडल और मुसलमानों के सबसे बड़े संगठन जमीयत उलमा-ए-हिंद ने सरकार के इस आदेश को ‘असंवैधानिक’ और अल्पसंख्यकों के अधिकारों का हनन करने वाली कार्रवाई बताते हुए इसे वापस लेने की मांग कर रहे है। लेकिन शासन के निर्देश के क्रम में अब इन बच्चों का दाखिला परिषदीय विद्यालयों में कराने के लिए तैयारियां चल रही हैं।
जब एक गैर मान्यता प्राप्त मदरसे पर जाकर रियलिटी चेक किया तो पता चला बच्चों को गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस को कब मनाया जाता है इतना तक पता नहीं है और मदरसे के संचालक कहते हैं कि बच्चों को उच्च शिक्षा दी जा रही है इन्हें सरकारी परिषदीय स्कूलों में भेजने की आवश्यकता नहीं है। बच्चों को पढ़ते हुए जब उनके किताबों को देखा गया तो अंग्रेजी, हिंदी नहीं बल्कि उर्दू की किताबों के साथ इस्लाम की शुरुआत की पढ़ाई करते नजर आए। अब ऐसे में जहां एक तरफ योगी सरकार बच्चों के उज्जवल भविष्य के लिए सरकारी स्कूलों में औपचारिक शिक्षा प्रदान करने की बात कर रही है तो वहीं गैर मानता प्राप्त विद्यालयों समेत मुस्लिम लॉ बोर्ड और मुसलमानों के बड़े संगठन जमीयत उलमा ए हिन्द के लोगों ने सरकार के इस आदेश को असंवैधानिक बताते हुए अल्पसंख्यकों के अधिकारों का हनन करने वाली कार्यवाही बता कर विरोध जाता रहे है। और वहीं योगी सरकार के फरमान को मिलते ही प्रशासनिक अधिकारी आदेश के क्रम में तैयारीयों में जुटे हुए हैं।