
लखनऊ : आज कथा में अतिथिगण हनुमानगढ़ी नैमिषारण्य से श्री महंत बजरंगदास जी महाराज, श्री डॉक्टर विवेक ताग्डी जी, डी.ए.वी कॉलेज प्रबंधक श्री मनमोहन तिवारी जी एवं गुड्डू भैया, श्री पंकज गुप्ता जी, श्री सर्वेश पाण्डेय जी, श्री मुरलीधर आहूजा जी, श्री अंशु गुप्ता जी, श्री अरविन्द सिंह जी, श्री सुरेश मिश्रा जी, श्री नितिन गुप्ता जी उपस्थित रहे एवं आरती पूजन किया।
अयोध्या में भगवान श्री राम के आगवन के उपलक्ष्य में पूज्य श्री देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज के पावन सानिध्य में भव्य दिव्य श्री राम कथा और श्री सीताराम यज्ञ का दिव्य आयोजन स्थान – डी.ए.वी कॉलेज, ऐशबाग रोड नियर नाका थाना लखनऊ में 24 जनवरी से 1 फरवरी 2024 तक किया जा रहा है। श्री राम कथा के द्वितीय दिवस की शुरुआत विश्व शांति के लिए प्रार्थना के साथ की गई। जिसके बाद पूज्य महाराज जी ने भक्तों को “सीता राम सीता राम सीताराम” भजन का श्रवण कराया।
आज भी जब भगवान के उत्सव होते हैं तब तब ऐसा अनुभव होता है जैसे साक्षात परमात्मा हम सब के मध्य आ गए हों। हमारे संतों ने कहा है कि भगवान के उत्सव ही मनुष्य जीवन में सब से श्रेष्ठ उत्सव होते हैं और हर एक मानव को भगवान के उत्सव में शामिल होना चाहिए और हमेशा परमात्मा का नाम लेते रहना चाहिए। मनुष्य संसार में लगा रहता है लेकिन कभी कोई मनुष्य के साथ नहीं जाते है केवल राम नाम जाता है।
मनुष्य के साथ केवल राम नाम जाता है। हम सब मनुष्य एक ऐसे बंधन में बंध गए हैं जो बस एक दूसरे को झेल रहे हैं साथ जी नहीं रहे हैं। मनुष्य के जीवन में कथा का होना बहुत आवश्यक है क्योंकि यह भगवान कि कथा ही है जो सभी मानव को सद्मार्ग का दर्शन कराती है। संत कहते हैं कि मनुष्य को रामायण सुननी चाहिए क्योंकि रामायण में हमारी सभी समस्याओं का समाधान होता है कहते हैं कि भगवान महादेव ने भी रामायण सुनी थी।
बहु बेटा का फ़र्ज़ होता है कि अपने बड़े-बूढ़ों की सेवा करें। सत्संग हर घर के लिए ज़रूरी है क्योंकि सत्संग हमें सद्मार्ग का दर्शन कराती है और श्री राम कथा ,सत्संग, भागवत कथा और शिवमहापुराण यह सब मनुष्य को एक सद्मार्ग पर ले जाती हैं।
आज का मनुष्य राम नाम का महत्व नहीं जनता लेकिन भगवान शिव भी राम नाम का महत्व जानते हैं। जब महादेव ने 100 करोड़ रामायण के श्लोक बनाये थे जिसके बारे में तीन लोगों को पता चला मानव,दानव और देवता।
राम के हो जाओ भगवान के हो जाओ कल्याण होना निश्चित है। मनुष्य अपना सारा जीवन अपनों के लिए लगा देता है। मनुष्य का सब से बड़ा दुर्भाग्य है कि उसने कभी भी अपने लिए समय नहीं निकाला। इसी कारण मनुष्य खुद का सब से बड़ा दुश्मन होता है क्योंकि मनुष्य जो खुद अपना नुक्सान करता है उसकी भरपाई कोई और नहीं कर सकता है।
मनुष्य की जब मृत्यु आती है जब खुद पर खुद दुनिया छूट जाती है। सब मनुष्य को राम पर विश्वास होना चाहिए। सनातनियों को विश्वास था राम पर इसलिए उन्हें श्री राम मिल गए कल तरंगा भी फहरायेगा और भगवा भी फहरायेगा।