
लखनऊ के बर्लिंगटन स्थित एफआई टावर पर ध्वस्तीकरण की कार्रवाई पर सवाल उठाते हुए कहा गया की आम फ्लैट बायर्स के पक्ष को सुने बिना लखनऊ विकास प्राधिकरण ने एक तरफा कार्रवाई की है। एफआई बिल्डर के लीगल एडवाइजर एडवोकेट विप्लव अवस्थी ने बताया कि एफआई टावर 1997 में शुरू होकर 1998 तक बन गया था। सभी फ्लैट बायस को इसमें पजेशन भी दिया गया। फ्लैटों की बढ़ती मांग को देखते हुए फिर टावर में छटा और सातवां मंजिल बनाया गया। जिसके लिए लखनऊ डेवलपमेंट अथॉरिटी ने स्वैच्छिक समन योजना के तहत पूरी जांच कराई और शुल्क जमा करके छठे और सातवीं मंजिल की अनुमति दी थी। लेकिन साल 2023 में एफआई बिल्डर को नोटिस जारी करके लखनऊ विकास प्राधिकरण ने यह दावा किया की कूट रचित दस्तावेजों के आधार पर बिल्डर ने छठी और सातवीं मंजिल की परमिशन ली है।
बिल्डर ने लखनऊ विकास प्राधिकरण के नोटिस पर जवाब देते हुए स्वैच्छिक समन योजना से जुड़े सभी दस्तावेज प्रस्तुत किया। लेकिन लखनऊ विकास प्राधिकरण ने एक तरफा कार्रवाई करते हुए 23 दिसंबर से ध्वस्तीकरण का कार्य शुरू कर दिया । छठी और सातवीं मंजिल में रहने वाले फ्लैट बायर्स अपने बच्चों और बुजुर्गों के साथ सड़क पर आ गए हैं।
एफआई बिल्डर के कानूनी सलाहकार एडवोकेट विप्लव अवस्थी ने कहा कि इस एकतरफा कार्रवाई को संज्ञान में लेकर तुरंत रोका जाए जिससे आम फ्लैट बायर्स के घरों को तोड़ा न जाए। एडवोकेट विप्लव अवस्थी ने बताया की कार्रवाई के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ में याचिका भी दाखिल की गई है जिस पर हाईकोर्ट की खंडपीठ ने ध्वस्तीकरण की कार्रवाई पर रोक का आदेश दिया है।
एडवोकेट विप्लव अवस्थी ने यह भी बताया की एफआई बिल्डर के व्यावसायिक प्रतिद्वंदियों ने झूठी और भ्रामक खबरें फैलाई कि एफआई बिल्डर के रिश्ते एक कथित माफिया से हैं, जबकि आज तक किसी भी जांच एजेंसी ने बिल्डर और उनके निदेशकों के ऊपर लिखित तौर पर कोई भी आरोप नहीं लगाया है। एडवोकेट विप्लव अवस्थी ने कहा की एफआई बिल्डर और फ्लैट बायस को न्यायपालिका, उत्तर प्रदेश सरकार और यूपी के यशस्वी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर पूरा भरोसा है और गरीब फ्लैट बायर्स के साथ अन्याय नहीं होना चाहिए और साथ ही लखनऊ विकास प्राधिकरण की एक तरफा कार्रवाई को बिना विलंब रोका जाए।