
निमोनिया एक्यूट रेस्पिरेशन इन्फेक्शन का एक रूप है जो फेफड़ों पर प्रभाव डाल रहा है। फेफड़े एल्वियोली नामक छोटी-छोटी थैलियों से बने होते हैं, जो एक स्वस्थ व्यक्ति के सांस लेने पर हवा से भर जाते हैं। जब किसी व्यक्ति को निमोनिया होता है, तो एल्वियोली मवाद और तरल पदार्थ से भर जाती है, जिससे सांस लेने में दर्द होता है और ऑक्सीजन का सेवन सीमित हो जाता है।
बच्चो में रेस्पिरेटरी निमोनिया को लेकर लोगो को सतर्क किया जा रहा है। चीन के उत्तरी क्षेत्र में तेजी से फैल रहे एवियन इन्फ्लूएंजा एच9एन2 वायरस के बढ़ रहे मामलों को लेकर अलर्ट जारी है। वहां भी बच्चो में इसी तरह की बीमारी का संदेह है, हलाकि इसका कारण अभी तक स्पष्ट नहीं है। वैसे तोह सर्दी के मौसम में हर वर्ष निमोनिया एक आम तोर पे सुनने को मिलता है। साथ ही वायु प्रदुषण के वजह से भी बच्चो में सास से सम्बंधित तकलीफ बढ़ रही है। बच्चों में खांसी, जुखाम,गले में घरघराहट या दर्द जैसी समस्या सामने आ रहीं है इसलिए लोगों को के लिए सतर्क किया जा रहा रहा है कि अगर समस्या ज्यादा हो तो डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
इन दिक्कतों के बढ़ने के कई कारण हैं जैसे कि तापमान की कमी आने से भी वायरस के प्रभाव बढ़ रहे है। साथ ही शहरों में ख़राब वायु गुणवत्ता से भी सांस लेने में मुश्किल हो रही है। फेफड़े में अस्वच्छ वायु जाने से भी साँसों में तकलीफ और एलर्जी की समस्या सामने आयी है। दिक्कत बढ़ने पर बैक्टीरियल और वायरल निमोनिया होने के भी आसार बढ़ रहे है। बीते एक माह में बच्चो के बुखार, खांसी, जुखाम के मामले काफी बढ़ गए है। प्रदुषण नियंत्रण के मजबूती और प्रभावी उपायों के साथ सभी बच्चो का टीकाकरण करना आवश्यक है साथ ही बचो को सही और संतुलित डाइट देने की अति आवश्यकता है जिससे उनकी इम्युनिटी बेहतर हो सके और वे वायरस और बैक्टीरिया से प्रभावी तौर पे मुकाबला कर सके।